संपादक का नोट: सुधा नायर, एक विशेष शिक्षिका, एक सक्रिय कार्यकर्ता और पुणे की एस.आर.वी. लीडर, सामाजिक भूमिका मूल्यवर्धन (एस.आर.वी.) के मूल मूल्यों के आधार पर एक कार्यक्रम विकसित करने का एक व्यक्तिगत अनुभव साझा करती हैं। कौन सी बातें एक अच्छा कार्यक्रम बनाती हैं? उसमें क्या सामग्री लगती है ... कौशल प्रशिक्षण की थोड़ी...अधिक पढ़ें
'घर पर रहने' का क्या मतलब है? इस प्रश्न का उत्तर अलग-अलग लोगों के लिए अलग हो सकता है। भारत में विकलांगता युक्त कई लोग, विशेष रूप से जो गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं, उनका घर उनसे छिन गया है, और वे अपने परिवार और अपनी जड़ें तलाश रहे हैं। चुनाव करने, और मुफ्त में...अधिक पढ़ें
विकलांगतायुक्त व्यक्ति अक्सर ऐसे जीवन जीते हैं जो एक समूह में एकत्रित और बाकी लोगों से अलग-थलग होता हैं। समाज के हाशिये पर कर दिये जाने के कारण, उन्हें ऐसे स्थानों में बंद कर दिया जाता है जहां कभी-कभी वे उन चीजों को भी नहीं देख पाते हैं, जो हममें से अधिकांश लोगों के लिए...अधिक पढ़ें
विकलांगता युक्त लोग दुनिया में अपना सही स्थान पा सकें इसके लिए जो बदलाव हम देखना चाहते हैं, वे, अक्सर छोटे लेकिन शक्तिशाली किश्तों में होते हैं। आकर्षक परिवर्तन प्रभावशाली होते है, लेकिन विश्वासयोग्य, बेहतर जीवन की दिशा में उठाए गए छोटे कदम और अधिक संभावनाएं, भविष्य में विजय दिला सकती हैं।अधिक पढ़ें
मूल्यवान भूमिकाएँ जीवन की अच्छी चीज़ों तक पहुँचने के वाहक हैं। वे स्थिर नहीं रहते हैं, लेकिन हमेशा विकसित होते रहते हैं, बढ़ रहे होते हैं और बदल रहे होते हैं। यह न केवल विकलांगतायुक्त व्यक्तियों पर लागू होता है, बल्कि पूरे समुदाय पर भी लागू होता है।अधिक पढ़ें