प्रसिद्ध गायक बॉब मार्ले ने एक बार कहा था, “आप कभी नहीं जान सकते कि आप कितने मजबूत हैं जब तक कि मजबूत होना ही आपका एकमात्र विकल्प ना हो।”
यह भावना कुछ ऐसी है जिससे कोई भी माता-पिता जो एक ऐसे बच्चे/वयस्क का पालन-पोषण कर रहे हैं जो महत्वपूर्ण विकासात्मक या संज्ञानात्मक चुनौतियों से जूझ रहा हो एक जुड़ाव महसूस कर पाएंगे। भारत में माता-पिता अक्सर समाज में प्रचलित सामाजिक लांछन के कारण अपने करीबी परिवार के सामने भी अपने बच्चे के निदान का खुलासा करने के बारे अनिच्छुक होते हैं। यह काफी आम बात है कि सामाजिक समारोहों में विकलांगता युक्त लोगों को मुख्य रूप से उनकी विकलांगता के द्वारा पहचाना जाता है। विकलांगता युक्त व्यक्ति का ‘अवमूल्यन’ और समाज द्वारा नियमित रूप से ‘जख्म मिलना’ एक आम बात है।
यदि आप किसी विकलांगता युक्त व्यक्ति के परिवार के सदस्य हैं तो आपको या तो दया या विस्मय की दृष्टि से देखा जाता है; “आप एक बहादुर व्यक्ति हैं! आप यह सब कैसे कर पाते हैं!”
मेरा बेटा ध्रुव 13 साल का दोस्ताना व्यवहार ऱखने वाला ऑटिस्टिक लड़का है, जिसे लोगों से मिलना और बच्चों के साथ खेलना पसंद है। पिछले कुछ महीनों से हम दोनों यहां अपने समुदाय में घूमने जा रहे हैं। मैं अपना टहलने का काम करती और वह अन्य बच्चों के साथ जुड़ने की कोशिश करता। चूंकि वह ज्यादा बात नहीं करता है, और मुँह से आवाज करता है और अन्य बच्चों की तरह सामाजिक संकेत और खेल के नियम पहचान नहीं सकता है, उसे अनदेखा किया जाता है और कई बार ऐसा महसूस कराया जाता है जैसे वह वहाँ हो ही नहीं।
फिर भी उसे इस बात का श्रेय देने की जरूरत है कि वह “दोस्तों” से मिलने के लिए बाहर जाने और इस उम्मीद में उनका अनुसरण करने के लिए जिद करता था कि किसी दिन उसे पहचाना जाएगा और उनके समूह में शामिल किया जाएगा। मैं एक दिन जब टहल रही थी तो एक 5 साल का बच्चा आया और मुझसे पूछा: “आंटी क्या ध्रुव को कोई बीमारी है?” मैं थोड़ी सहम सी गई लेकिन एक छोटे बच्चे को आटिज्म के बारे व्याख्या करना और शब्दों में समझाना आसान नहीं है, इसलिए मैं बस मुस्कुरायी और कहा, “नहीं, उसे कोई बीमारी नहीं है, लेकिन वह दूसरों से अलग है, और वह तुम्हारे साथ खेलना पसंद करता है, इसलिए क्या तुम उसके साथ खेल सकते हो?”
फिर एक दिन ऐसा आया जब ध्रुव को अकेले बाहर निकल कर खेलने का ताकत और आत्मविश्वास मिला। एक अभिभावक के रूप में मुझे यह सोचकर खुशी हुई कि उसने अपनी मित्र-मंडली पा ली है और आखिरकार उसे एक दोस्त के रूप में महत्व दिया जा रहा है। हालाँकि, मेरी खुशी थोड़े समय ही बनी रह सकी क्योंकि एक दिन बड़ी सफाई से बताते हुए उसने उदास घोषणा की, “दोस्त बुरे, दोस्त ध्रुव के साथ नहीं खेलते, वे कहते हैं कि वे माँ से शिकायत करेंगे!” मैंने उससे पूछा कि उसे कैसा लगा। उसने बड़े ही दुःख भरे चेहरे के साथ “उदास” कहा। मैंने उसे देखा और उसका दर्द महसूस कर पायी लेकिन मेरे पास उसे दिलासा देने के लिए यह कहने के अलावा और कोई शब्द नहीं था, “ठीक है ध्रुव, कभी-कभी दोस्त नहीं खेलते हैं।”
फिर एक बड़े महत्व की घटना घटी। हमने ध्रुव के संगीत शिक्षक मनसा द्वारा आयोजित दोपहर के भोजन में भाग लिया और इसमें उसके कई दोस्त और परिवार के लोग शामिल थे। जो चीज इस अवसर को अनूठा बनाती थी वह यह थी कि वहाँ लोग ध्रुव से इसलिए नहीं मिलना चाहते थे क्योंकि वह ऑटिस्टिक है बल्कि इसलिए कि वह उसका छात्र है और उसने सभी को बतलाया था कि वह कितना अच्छा गाता है और अपने संगीत का कितना अच्छा अभ्यास करता है। एक बदलाव के लिए ध्रुव को एक अच्छा छात्र होने के लिए, उसके संगीतमय होने के लिए, और वह क्या पेश करता है, उसके लिए ‘मूल्यवान’ महसूस कराया गया, और उसे ‘दया के पात्र’ के रूप में नहीं देखा गया।
ध्रुव के संगीत-प्रेम को पहचानने और एक इंसान के रूप में उसका सम्मान करने के लिए मैं उसके शिक्षक मनसा का सदा आभारी रहूंगी। यह वास्तव में एस.आर.वी. के सिद्धांतों का वास्तविक जीवन में उपयोग किए जाने का एक अच्छा उदाहरण है और मुझे आशा है कि ध्रुव को भविष्य में इस प्रकार के और भी मूल्यवान अनुभव प्राप्त होंगे।