‘घर पर रहने’ का क्या मतलब है? इस प्रश्न का उत्तर अलग-अलग लोगों के लिए अलग हो सकता है। भारत में विकलांगता युक्त कई लोग, विशेष रूप से जो गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं, उनका घर उनसे छिन गया है, और वे अपने परिवार और अपनी जड़ें तलाश रहे हैं। चुनाव करने, और मुफ्त में प्रदान किए गए रिश्ते हम सभी के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण और मूल्यवान हैं, और फिर भी विकलांगतायुक्त लोगों को बहुधा इनसे वंचित किया जाता है और इससे भी ज्यादा उन लोगों के लिए जो संस्थानों में रह रहे हैं।
रोजी एक ऐसी व्यक्ति है। जब वह वह एक छोटी बच्ची थी तभी से वह संस्था में रह रही थी। इस कारण से मुफ्त में प्रदान किए गए रिश्तों तक उसकी बहुत कम पहुंच थी। उसके लिए अपने परिवार, और पारिवारिक जीवन की छोटी-छोटी खुशिय़ाँ, बहुत दूर की यादें भर थीं। फिर भी एक दिन आया जब वह संस्था के द्वार से निकलकर अपने घर में चली गई। यहां, अपने घर में, वह खुद तय कर सकती थी कि उसे क्या चाहिए और क्या नहीं। उसके पास चुनने के विकल्प और चुनाव करने के अवसर थे। और एक दिन, उसका समर्थन करने वाले लोगों के कुछ प्रयासों के बाद, उसे उसका परिवार मिल गया। वह अपनी सौतेली माँ और अपने भाईयों से मिल सकी, और अपनी बहन से वीडियो-कॉल पर बात कर सकी। यह उसके लिए एक खुशी से भरा पुनर्मिलन था, और फिर भी, क्या इसका मतलब यह था कि वह इन लोगों के साथ अपने जीवन को आगे बिताने के लिए अपने नये बसे घर को छोड़ देगी? यह एक ऐसा सवाल था जिसका जवाब सिर्फ रोजी ही दे सकती थी। आखिरकार, वह अपनी मर्जी से चलने वाली एक आजाद महिला है, जो अपना फैसला खुद लेती है। न तो वह अपने परिवार के स्वामित्व में है, न ही उस संगठन के अधीन है जो इस नए घर में उसकी सेवा करता है।
उसे यह चुनने का अवसर दिया गया था कि क्या वह उनके साथ रहना चाहती है। और उसने कहा नहीं। जौभी कि अपने परिवार से मिल पाने के कारण मुफ्त में मिलने वाले रिश्तों को वह चाहती थी, परन्तु फिर भी उसने अपने घर पर रहने और अपनी खुद की जगह रखने का विकल्प चुना। वह अपने परिवार वालों के साथ संपर्क में रहती है लेकिन एक अलग घर में रहना पसंद करती है।
डिंपल, एक दूसरी महिला है जो अपने परिवार से 5 साल से अधिक समय से अलग थी और उस संस्था में रह रही थी जहाँ रोज़ी पहले रह रही थी। वह भी अपने परिवार के साथ फिर से मिल पाई। उससे पूछा गया कि क्या वह अपने परिवार से मिलना चाहती है और अपने पति और बच्चों के साथ फिर से जुड़ना चाहती है। उसने अपने परिवार के पास वापस जाने और उनके साथ रहने का विकल्प चुना।
पुनर्मिलन, लेकिन भिन्न विकल्प और विभिन्न संभावनाएं। कई बार, अवमूल्यित लोग अपने लिए चुनने के अधिकार से वंचित हो जाते हैं। भोजन और कपड़ों जैसे विकल्पों से लेकर उनके भविष्य को प्रभावित करने वाले विकल्प तक। उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ऐसे ले जाया जाता है जैसे कि वे कोई वस्तु हों न कि लोग।
अक्सर यह माना जाता है कि एक बार जब कोई व्यक्ति जानता है कि उसका परिवार कहां है, तो उसे उनके साथ ही रहना चाहिए। सहमति, सम्मान, और चुनाव करने की गरिमा बहुत महत्वपूर्ण है अगर हम चाहते हैं कि लोग समाज में अपना स्थान लें, जिसमें सभी के लिए जगह हो और उन्हें वे सभी अधिकार मिले जो मूल्यवान भूमिकाएं निभाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को दिए जाते हैं। चुनने के अधिकार की गरिमा वह है जो लोगों को निर्भरता की भूमिकाओं से निकालकर पूर्ण नागरिकता की भूमिकाओं में ले आता है।