विकलांगतायुक्त व्यक्ति अक्सर ऐसे जीवन जीते हैं जो एक समूह में एकत्रित और बाकी लोगों से अलग-थलग होता हैं। समाज के हाशिये पर कर दिये जाने के कारण, उन्हें ऐसे स्थानों में बंद कर दिया जाता है जहां कभी-कभी वे उन चीजों को भी नहीं देख पाते हैं, जो हममें से अधिकांश लोगों के लिए कोई महत्व नहीं रखते हैं।
माधव एक ऐसा व्यक्ति हैं। नेपाल के एक नागरिक के रूप में, वह अपने दो भाइयों के साथ काम की तलाश में भारत आया था, इस उम्मीद के साथ कि वह कुछ पैसे कमाएगा और उसे अपने परिवार के पास वापस ले जा पाएगा। हालाँकि, जीवन ने उसके लिए एक अलग मोड़ लिया।
एक दिन अपने कार्यस्थल पर, माधव के साथ एक दुर्घटना घटी। वह देहरादून के एक सरकारी अस्पताल में पहुँच गया, जहाँ के डॉक्टरों ने फैसला किया कि उसे मानसिक स्वास्थ्य सहायता की आवश्यकता है, और उसे राज्य मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में स्थानांतरित कर दिया गया। अगले ढाई साल तक वह अपने परिवार से संपर्क नहीं कर पाया और अस्पताल की चारदीवारी में कैद था।
और फिर एक दिन कोई व्यक्ति जो उसके परिवार का पता लगाने और उनके पास वापस जाने में उसकी मदद करना चाहता था, उससे बात करने आया। जिस जगह पर माधव को बंद रखा गया था, वहां की दीवार में एक छेद के जरिए उससे बातचीत की गई। किसी ने न केवल उसकी सुनी, बल्कि यह भी सुना कि वह क्या कहना चाह रहा था, लेकिन नहीं कह पा रहा था।
अगली बार जब टीम का कोई सदस्य उससे बात करने आया, तो वह उस कमरे में जा सका जहाँ टीम उससे बात करने को बैठी थी। लेकिन जैसे ही माधव ने कमरे में प्रवेश किया, वह रुक गया और बहुत देर तक खिड़की से बाहर देखता रहा। खिड़की के उस पार की सड़क ने उसका ध्यान आकृष्ट किया। और उसने कहा, “पिछले दो वर्षों में यह पहली बार है कि मैं सड़क और वाहनों को देख रहा हूं”। विस्मय और उत्साह से भरकर, उसकी भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा – उसने अपनी कहानी साझा की।
और अब टीम कड़ी मेहनत कर रही है, और उसके परिवार के साथ संपर्क में है ताकि उसे उस सड़क पर ले जाने में मदद मिल सके, जो उसके घर की ओर जाती है। किसी दिन, माधव उस रास्ते पर होगा, जो उसके घर का ओर जा रहा होगा। यह सब इसलिए संभव हो पाएगा क्योंकि किसी ने उसके दिल में तालाबंद होने, अलग-थलग रखे जाने, और उन चीजों को नहीं कर पाने के दर्द को सुना और समझा, जिन्हें हम में से अधिकांश लोग हल्के में लेते हैं और उनका महत्व नहीं समझते।