प्रयत्न पुणे, महाराष्ट्र में एक छोटा सा संगठन है, जो विकासात्मक विकलांगता वाले वयस्कों और बच्चों की सहायता के लिए समर्पित है। संस्थापक साझेदार राडिया गोहिल और मृदुला दास ने 2016 में दिल्ली में सोशल रोल वेलोराइजेशन कोर्स के उद्घाटन समारोह में भाग लिया, और ऐसे लोगों की सहायता करने के विचार से बहुत प्रभावित हुए, जिन्हें अक्सर अपने निजी स्वायत्तता को बढ़ा पाने और अपनी जिन्दगी की गाड़ी के “ड्राइवर की सीट पर” खुद बैठ पाने की स्थिति से अधिकांशतः अति-नियंत्रित और अति-संरक्षित किया गया था।
उन्होंने सोच- विचार किया, बातचीत की और उन लोगों के साथ चर्चा की जिनकी वे सेवा करते हैं तथा उन परिवारों से जिनकी वे सेवा करते हैं और अपने कर्मचारियों से भी, और एक विचार तैयार किया। प्रयत्न में एक व्यावसायिक हुनर प्रशिक्षण कार्यक्रम है जो इस प्रकार के कार्यक्रमों में काफी सामान्य तौर पर पाया जाता है। इस कार्यक्रम में काम करने वाले लोग सभी वयस्क हैं और उन्हें प्रदर्शनी के लिए पेपर बैग बनाने, मसाला तैयार करने और शिल्प वस्तुओं के निर्माण जैसे कार्य सौंपे जाते हैं। जब राडिया और मृदुला ने चुनाव और नियंत्रण के अवसरों को बढ़ाने के बारे में सोचना शुरू किया, तो उन्होंने सवाल करना शुरू कर दिया कि इस तरह के कार्यों को कर्मचारियों द्वारा क्यों सौंपा जाता और नियंत्रित किया गया था, और क्या वे इसे बदल सकते हैं। आखिरकार, उन कार्यों के बारे में निर्णय लिया जाना, जिनसे लोग जुड़े होते हैं, यह परिभाषित करता है कि लोगों के समय का उपयोग कैसे किया जाता है और क्या लोग अपने काम में गर्व की भावना का अनुभव करते हैं।
इस अन्वेषण के परिणामस्वरूप, वे जिन लोगों की सेवा करते हैं, उन्होंने “फ्राइडे वर्क मीटिंग” का गठन किया, अनिवार्य रूप से एक लोकतांत्रिक स्टाफ मीटिंग, जिसमें कार्यकर्मियों ने स्वयं आपस में बातचीत करके निर्णय लिया कि कौन सा काम किसके द्वारा किया जाएगा। आप यहां वास्तविक सक्षमता बढ़ाने के लिए अवसर की कल्पना कर सकते हैं, क्योंकि लोगों ने बातचीत करना, अपने हितों की वकालत करना, एक साथ काम करना, समझौता करना और नेतृत्व करना सीखा। इसके अलावा, लोग अपने अगले कार्य सप्ताह पर कुछ नियंत्रण रखने का लाभ प्राप्त कर सके कि वे अपना समय कैसे व्यतीत करेंगे। एक अतिरिक्त अप्रत्याशित लाभ के रूप में उन्होंने पाया कि शुक्रवार अक्सर एक ऐसा दिन होता था जब लोग कार्यक्रम में आने की बजाय घर रहने का फैसला करते थे। एक बार शुक्रवार की कार्य बैठक शुरू होने के बाद, लोगों ने महसूस किया कि शुक्रवार को उनकी उपस्थिति महत्वपूर्ण थी, और उपस्थिति बढ़ गई। आखिरकार, यदि आप बैठक में नहीं रहते, तो आपके पास अगले सप्ताह के लिए अपने समय और गतिविधि के ऊपर नियंत्रण रखने का अवसर नहीं हो पाता।
यह अभ्यास अभी विकसित ही हो रहा है क्योंकि बैठक के प्रबंधन में कार्यकर्मियों की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है और कर्मचारियों की भूमिका घटती जा रही है।