विकलांगता युक्त लोगों को अक्सर “उन लोगों” के रूप में देखा जाता या वर्णन किया जाता है- और उनको अलग-थलग कर देना या एक जगह में इकट्ठा कर रखने के कारण ना सिर्फ उन्हें अलग लोगों के रूप में देखे जाने की प्रवृति को बढ़ावा मिलता है परन्तु उन्हें एक एकीकृत समूह के रूप देखा जाता है जो एक दूसरे के बिल्कुल समान हैं। एक रणनीति, जो सामाजिक भूमिका मूल्यवर्द्धन के ढांचे के अन्तर्गत सिखायी जाती है- वह सेवाओं और समर्थन को व्यक्तिगत तौर पर उपलब्ध कराने से है और इसकी शुरूआत हमारी अपनी मानसिकताओं और दूसरे लोगों की मानसिकताओं से हो सकता है। (हमारी शिक्षा का एक और सामर्थी विषय)
ऑटिज्म सोसाइटी ऑफ वेस्ट बंगाल ने यह कहकर वैयक्तिकरण के मुद्दे को उठाया कि वे कर्मचारियों की सहायता करने के लिए क्या कर सकते हैं – कि जिन बच्चों की वे सेवा करते हैं, उनमें से प्रत्येक बच्चे को वे एक अनूठे व्यक्ति, हर दूसरे व्यक्ति से अलग और अद्वितीय विशेषताओं, क्षमताओं, गुणों और यहां तक कि सपनों के साथ देखें। आखिरकार, हर बार जब एक शिक्षक एक छात्र की फ़ाइल खोलता है, तो एक जैसी योजना बनाने के ढांचे के कारण उनके नियोजन दस्तावेज़, जो उनकी कमियों की सूची से भरे होते हैं, वह अपने सभी छात्रों को एक ही समान देखने की सोच से प्रभावित हो सकता है।
इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, आटिज्म सोसाइटी ऑफ वेस्ट बंगाल ने प्रत्येक छात्र की फ़ाइल के कवर पर प्रमुखता से रखी गई उनकी व्यक्तिगत रूप से रंगीन, आकर्षक, छवि-वर्धक, रचनात्मक, एक पृष्ठ प्रोफ़ाइल बनाकर बदलाव का एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। अब, कोई भी पहली नज़र में, एक दिलचस्प, अद्वितीय, मूल्यवान व्यक्ति के रूप में उसे देखे बिना, युवा अस्मा की फ़ाइल नहीं खोल सकता है। इससे पहले कि उसकी फ़ाइल खोली भी जाए, काम शुरू करने का यह एक शानदार तरीका है। एक पृष्ठ की प्रोफाइल, सकारात्मक विशेषताओं, दिलचस्प तथ्यों और छात्र की एक सुंदर छवि से भरी हुई है। अल्पकालिक अभिभावक बाल प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में भी एक ही पृष्ठ प्रोफ़ाइल बनाने की शुरूआत की गई, जहाँ शिक्षक और माता-पिता ने चर्चा करके एक पृष्ठ प्रोफ़ाइल को साथ बनाया। परिवार जन इन सकारात्मक, मान बढ़ाने वाली चर्चाओं और सुंदर प्रतिनिधि छवियों के सृजन करने की प्रक्रिया को ही काफी उत्थान लाने वाले कदम के रूप में देखते हैं, और यह सोचना लाजिमी है कि इसके द्वारा से अन्य शिक्षकों और समर्थकों को भी यह सूचना प्राप्त होगी कि यह बच्चा, जानने लायक है। आटिज्म सोसाइटी ऑफ वेस्ट बंगाल, आपका यह कदम सचमुच में सराहनीय है। सरल तरीके, जिनका दिमाग पर प्रभाव पड़ता है, और ये बातें तय करती हैं कि बच्चों के साथ किस प्रकार व्यवहार किया जाएगा।